आखिरकार तमाम जद्दो जहद के बाद श्री रामचरित मानस रामलीला कमेटी की रामलीला के मंचन के खर्चे का लेखा- जोखा हुआ उजागर।
वादे के मुताबिक काफी देरी से रखा गया सार्वजनिक हिसाब किताब, लेकिन 29 साल में पहली बार इस तरह से कमेटी ने दिया लेखा-जोखा।
रामलीला कमेटी के सभी पदाधिकारीयों की जमकर की गई सराहना।
गाजियाबाद के लाईन पार क्षेत्र की
श्री रामचरितमानस रामलीला कमेटी के द्वारा वर्ष 2023 के हिसाब का लेखा-जोखा सार्वजनिक किया गया। हालांकि यह हिसाब किताब रामलीला समाप्त होने के 1 महीने बाद ही देना चाहिए था।
लेकिन कुछ कारणों के कारण इसमें काफ़ी देरी हुई। जिसके बाद बड़ी संख्या में कमेटी के अन्य पदाधिकारी और संरक्षक मंडल के अलावा स्थानीय लोगों के द्वारा भी बड़ा विरोध भी हुआ।
बहरहाल तमाम जद्दो जहद के बाद बुधवार को रामलीला रामलीला कमेटी के अध्यक्ष जगसेन यादव, महासचिव प्रदीप जादौन और कोषाध्यक्ष मनीष शर्मा ने रामलीला का पूरा हिसाब सभी सम्मानित सदस्यों के सामने रख दिया।
कोषाध्यक्ष मनीष शर्मा के मुताबिक वर्ष 2023 में चंदे और रामलीला मैदान के ठेके से कुल 12 लाख रूपये एकत्र हुए और रामलीला मंचन के दौरान कल 9,25,000 का खर्चा हुआ।यानी 2,75,000 की बचत हुई,जो सर्वसम्मति से अगली मीटिंग में जनहित के कार्य में खर्च की जाएगी।
बताते चलें कि प्रताप विहार में श्री रामचरितमानस रामलीला कमेटी के तत्वाधान में भगवान श्रीराम की रामलीला पिछले 29 साल से प्रताप विहार में होती आ रही है।
हर बार कमेटी बनती है और यही कहा जाता है कि रामलीला मंचन के बाद हिसाब का लेखा-जोखा सार्वजनिक किया जाएगा। लेकिन उसके बावजूद भी किसी तरह का साफ तौर पर हिसाब नहीं दिया जाता।लेकिन वर्ष 2023 में जब रामलीला कमेटी का गठन हुआ तो यह तय किया गया कि रामलीला मंचन के 1 महीने के बाद ही लेखा- जोखा सार्वजनिक किया जाएगा।
इसी रामलीला कमेटी की तरफ से 2023 में किए गए खर्चे के हिसाब में देरी होने के कारण 29 साल में पहली बार रामलीला कमेटी में दो गुट होते हुए भी नजर आए। बात यहीं तक नहीं रुकी और जिन पदाधिकारियों को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गईं। कुछ चंद लोगों के द्वारा उन पदाधिकारीयों पर कई तरह के गंभीर आरोप भी लगाए गए और मामला मीडिया तक भी जा पहुंचा।
जिस तरह के गंभीर आरोप लगाए गए बैठक में और उसका संदेश भी बहुत गलत गया। हालांकि सम्मानित संरक्षक मंडल और अन्य सम्मानित लोगों के द्वारा कमेटी के पदाधिकारी से जल्द ही हिसाब देने की बात कही गई और मामला शांत करने का भी प्रयास किया गया।उधर कमेटी के पदाधिकारीयों ने भी मामले को गंभीरता से लेते हुए बुधवार को सुबह रामलीला मैदान में लेखा जोखा सार्वजनिक कर दिया।
हालांकि इस दौरान रामलीला कमेटी के कुछ पुराने और नए पदाधिकारीयों और कुछ अन्य लोगों के बीच तीखी नौक झोंक भी हुई। संरक्षक मंडल की तरफ से सभी की बात गंभीरता से सुनी गई। जिन लोगों के द्वारा मीडिया तक बेवजह की अफवाह फैलाई गई। संरक्षक मंडल ने इस पूरे मामले को मीडिया तक ले जाने को लेकर और पदाधिकारीयों पर गलत आरोप लगाने को लेकर गलत करार दिया।
इस अवसर पर रामलीला कमेटी के सभी पुराने और नए पदाधिकारीयों के साथ-साथ सेंकड़ों स्थानीय लोग भी मौजूद रहे। जिन लोगों के कोई बात थी तो क्षेत्र के तमाम उन लोगों ने अपने विचार भी व्यक्त किए और रामलीला कमेटी के पदाधिकारीयों से सवाल जवाब भी किए। लेकिन मौजूद सभी लोग इस नतीजे पर पहुंचे, कि भले ही हिसाब किताब थोड़ा लेट हुआ लेकिन अभी तक 29 रामलीला का मंचन हो चुका है। अभी तक जिस तरह का हिसाब दिया गया। किसी भी रामलीला के बाद इस तरह का हिसाब नहीं दिया गया। इस अवसर पर मौजूद सभी सर्वसम्मति से सम्मानित लोगों ने पूरी पारदर्शिता के साथ हिसाब देने वाले सभी पदाधिकारीयों को भी बधाई दी और यह भी तय किया गया कि हर बार रामलीला के मंचन के बाद एक महीने के बाद ही रामलीला के मंचन का लेखा-जोखा सार्वजनिक किया जाएगा। ताकि कोई भी किसी पर किसी तरह की टिप्पणी ना कर सके।
रामलीला कमेटी की इस बैठक में बड़ी बात यह रही, कि जिन लोगों के जो भी गिले शिकवे थे वह सभी खत्म हुए और सभी मौजूद लोगों ने यह निर्णय लिया कि आगे से किसी भी तरह की कोई वार्ता होगी तो पहले आपस में निर्णय लिया जाएगा, उसके बाद ही वह सार्वजनिक होगी।