डसना जेल में बंदियों को अब चाय के साथ मिल रहा पाव और बिस्कुट भी।
गाजियाबाद की डासना जेल में अब बंदियों को चाय के साथ पाव और बिस्कुट भी मिलने शुरू हो गए हैं। यह व्यवस्था जेल का नया मैनुअल तैयार होने के बाद लागू की गई है।बड़ी बात यह है कि जेल के अंदर ही बेकरी में बंदियों के द्वारा कई तरह के बिस्कुट तैयार किए जा रहे हैं और गाजियाबाद की डासना जेल ऐसी पहली जेल है। जहां की बेकरी में खुद बंदी ही बिस्किट बना रहे हैं।
तेजेश चौहान ,तेजस
डसना जेल में बंदियों को अब चाय के साथ मिल रहा पाव और बिस्कुट भी।
(नया मैनुअल जारी होने के बाद जेल की बेकरी में ही तैयार किया जा रहा कई तरह का बिस्कुट)
(जेल में ही बिस्कुट तैयार किए जाने वाली प्रदेश की पहली डासना जेल)
उत्तर प्रदेश के जिला गाजियाबाद की डासना जेल में बंद बंदियों को अब चाय के साथ बिस्कुट भी मिलेंगे। इससे पहले चाय के साथ बंदियों को मिलता था केवल पाव।बड़ी बात यह है कि बन्दियों को दिए जाने वाला यह बिस्कुट बन्दियों के द्वारा ही जेल के अंदर बेकरी में तैयार किया जा रहा है।जेल की बेकरी में बिस्कुट तैयार करने वाली उत्तर प्रदेश की यह पहली जेल है।
इस बारे में जेल अधीक्षक आलोक सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश में जेल का नया मैनुअल जारी हुआ। जिसमें कई तरह के संशोधन किए गए हैं। इनमें से एक संशोधन जेल में बंद बंदियों को चाय के साथ बिस्कुट दिया जाना निश्चित किया गया। नया मैनुअल जारी होने के बाद से उत्तर प्रदेश की सभी जिल में बंद बंदियों के लिए बाहर से बिस्किट दिया जा रहा है।
लेकिन गाजियाबाद की डासना जेल प्रदेश की ऐसी पहली जेल है। जहां पर जेल के अंदर ही बंदियों के द्वारा बेकरी में कई तरह के बिस्कुट तैयार किये जाने लगे हैं। इस कार्य मे अभी तक कुल 35 बन्दी फिलहाल जुटे हुए हैं। इनमें कुछ ऐसे बंदे हैं जो पहले से ही बेकरी का कार्य जानते हैं बाकी अन्य बंदी ऐसे हैं जो इस कार्य को सीख रहे हैं फिलहाल जेल की बेकरी में अब कई तरह के फ्लेवर के बिस्कुट तैयार कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि जेल के अंदर ही पहले छोटे क्षेत्र में बेकरी चल रही थी। उसके पास ही करीब 30 सीट चौड़ा और 60 फीट लंबे क्षेत्र का विस्तार किया गया है। जहां पर पाव के साथ-साथ अब बिस्किट भी तैयार हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि जबसे बंदियों को चाय के साथ बिस्किट मिलना शुरू हो गया है तो बंदी भी इस बात को लेकर बेहद खुश हैं।
जेल अधीक्षक ने बताया कि खास बात यह है कि जेल के अंदर इच्छुक बंदियों को बिस्किट बनाए जाने की ट्रेनिंग भी दी जा रही है। ताकि जेल से बाहर निकल कर बंदी कम पैसे लगाकर इसे अपने रोजगार के रूप में अपना सकें। उन्होंने बताया कि कम लागत में बंदियों को जेल से रिहा होने के बाद अपने परिवार की जीविका चलाने का नया अवसर मिलेगा।