कारगिल में 19 पाकिस्तानी घुसपैठियों को मारकर शहीद हुए थे राजेन्द्र सिंह धामा
कारगिल शहीद राजेन्द्र सिंह धामा
कारगिल में 19 पाकिस्तानी घुसपैठियों को मारकर शहीद हुए थे राजेन्द्र सिंह धामा
खेकड़ा
शहीद राजेन्द्र सिंह धामा पुत्र स्वर्गीय जयसिंह निवासी खेकड़ा के भाई नरेश धामा ने बताया कि उनके बडे भाई शहीद राजेन्द्र सिंह वर्ष 1988 में जाट रेजिमेंट में भर्ती हुए थे। परिवार से पहली बार कोई सेना में भर्ती हुआ था। पूरे परिवार ने खुशियां मनाई थी। वर्ष 1989 में राजेन्द्र सिंह की शादी बागपत के राजपुर खानपुर की मुनेश देवी बडी धूमधाम से हुई थी। बाद में उनके एक पुत्र हिमांशु ने जन्म लिया तो खुशियों में ओर बढोतरी हो गई। अपनी अनेक पोस्टिंग के बाद वर्ष 1998 में राजेन्द्र की श्रीनगर पोस्टिंग हुई। वर्ष 1999 में पाकिस्तानी घुसपैठियों ने कारगिल क्षेत्र में पहाड़ियों पर कब्जा जमा लिया था। उनको खदेड़ने के लिए भारतीय सेना ने ऑपरेशन विजय चलाया था। इस ऑपरेशन में राजेंद्र सिंह धामा भी शामिल थे। उनकी बटालियन को द्रास सेक्टर में लगाया गया था। 8 जुलाई 1999 को राजेंद्र सिंह धामा ने पाकिस्तानी सेना से लोहा लेते हुए बलिदान दिया था। इससे पहले उन्होंने 19 पाकिस्तानी घुसपैठियों को मौत के घाट उतार दिया था। सिर में गोली लगने के कारण राजेेंद्र सिंह वीरगति को प्राप्त हुए थे। उसके शहीद होने की सूचना मिलते ही पूरे परिवार में कोहराम मच गया। वीर राजेन्द्र का पार्थिव शरीर कस्बे में आया तो लोगों ने छतों पर खडे होकर फूल वर्षा की थी। सैनिक सम्मान से उनको विदाई दी गई।
शहीद की याद मे पूर्व विधायक ने बनवाया शहीद द्वार
खेकड़ा निवासी शहीद राजेन्द्र सिंह की याद में तत्कालीन विधायक रूप चौधरी ने विधायक निधि से पाठशाला मार्ग पर शहीद द्वार का निर्माण कराया था। बड़ा गांव मार्ग का नाम शहीद राजेन्द्र सिंह मार्ग के नाम पर रखा गया। लेकिन परिजनों का आरोप है कि सरकार ने उसके बाद शहीद द्वार की कोई सुध नही ली। एक बार किसी वाहन की टक्कर से शहीद द्वार क्षतिग्रस्त भी हो गया। जब प्रशासन ने कोई ध्यान नही दिया तो राजेन्द्र के परिवार उनकी पत्नी मुनेश, भाई नरेश ने ही मरम्मत कार्य कराया था। अभी भी परिवार ही शहीद द्वार की देखरेख करता है।