2 नवम्बर को ही गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त : महंत नारायण गिरी
हिंदू धर्म में गोवर्धन पर्व का बहुत अधिक महत्व माना गया हैः श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज गोवर्धन पूजा में गोबर का उपयोग करके प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त किया जाता है प्रकृति से प्रेम कर उसके संरक्षण के लिए ही भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन लीला की थी
तेजस न्यूज संवाददाता
हिंदू धर्म में गोवर्धन पर्व का बहुत अधिक महत्व माना गया हैः श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज
गोवर्धन पूजा में गोबर का उपयोग करके प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त किया जाता है
प्रकृति से प्रेम कर उसके संरक्षण के लिए ही भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन लीला की थी
गाजियाबादः
श्री दूधेश्वर नाथ मंदिर के पीठाधीश्वर, श्री पंच दशनाम जूना अखाडा के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता, दिल्ली संत महामंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष व हिंदू यूनाइटिड फ्रंट के अध्यक्ष श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज नेश्री दूधेश्वर नाथ मंदिर के पीठाधीश्वर, श्री पंच दशनाम जूना अखाडा के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता, दिल्ली संत महामंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष व हिंदू यूनाइटिड फ्रंट के अध्यक्ष श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने कहा कि भारतीय संस्कृति व हिंदू धर्म में गोवर्धन पर्व का बहुत अधिक महत्व माना गया है। इस पर्व में गोबर को महत्व देकर पकृति संरक्षण का संदेश दिया गया है। महाराजश्री ने कहा कि इस बार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 1 नवंबर की सांय 6 बजकर 16 मिनट पर शुरू होगी और 2 नवंबर की रात्रि 8 बजकर 21 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार गोवर्धन पूजा का पर्व 2 नवंबर शनिवार को ही मनाया जाएगा। इस दिन गोवर्धन पूजा का मुहूर्त 2 नवंबर को शाम 6 बजकर 30 मिनट से लेकर 8 बजकर 45 मिनट तक है। ऐसे में गोवर्धन पूजा के लिए 2 घंटा 45 मिनट का समय मिलेगा। श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने गोवधन लीला क्ररके हमें प्रकृति से प्रेम करने व उसका संरक्षण करने का संदेश दिया था। गोवर्धन पर्व के दिन गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाकर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना की जाती हैंं। गोबर का उपयोग खेतों में खाद के रूप में किया जाता है। गोवर्धन पर्वत भी प्रकृति का ही एक रूप है और गोबर भी प्रकृति का महत्वपूर्ण अंग है। यह सारी प्रकति, सृष्टिव ब्रहमांड भगवान श्रीकृष्ण के अंदर ही समाई है। ऐसे में प्रकृति से प्रेम करना यानि भगवान की पूजा करना ही है। गोवर्धन पूजा में गोबर का उपयोग करके प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त किया जाता है। साथ ही कृषि का महत्व भी दर्शाया गया है।