तेजस न्यूज संवाददाता
21 वर्षीय किशोरी की उपचार के दौरान मौत ,परिजनों ने पहले निजी अस्पताल में इलाज कर रहे चिकित्सकों पर लगाया लापरवाही का आरोप।
जानकारी के मुताबिक किशोरी की तबीयत खराब होने पर नजदीक ही प्रताप विहार के सेक्टर 12 स्थित निजी हॉस्पिटल में ले जाया गया।लेकिन चिकित्सकों ने अस्पताल में भर्ती किए जाने की सलाह दी और उसे 4 यूनिट खून और 4 यूनिट प्लेटलेट चढ़ाई गई। जिसके बाद से ही किशोरी की हालत बिगड़ती चली गई, तो अस्पताल प्रबंधन ने किशोरी को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया। जिसके बाद किशोरी की हालत बिगड़ती चली गई तो किशोरी को नंदग्राम में स्थित सेंट जोसेफ अस्पताल में भर्ती कराया गया। चिकित्सकों के तमाम प्रयास के बाद भी किशोरी को होश नहीं आया और उसकी मौत हो गई किशोरी की मौत का जिम्मेदार उसके परिजन उस निजी अस्पताल प्रबंधन को मान रहे हैं। जहां पर उसे पहले भर्ती कराया गया था। फिलहाल मृतिका के परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ सख्त कार्रवाई किए जाने के लिए तहरीर दी है। इसके अलावा मुख्य चिकित्सा अधिकारी को भी अस्पताल की हर पहलू पर एक पैनल के द्वारा जांच कराए जाने की मांग करते हुए मुख्य चिकित्सा अधिकारी को शिकायत पत्र दिया है।
प्रताप विहार के सेक्टर 12 एमएस 67 में चंद्र सिंह उर्फ सोनू सिसोदिया पुत्र स्वर्गीय बैजनाथ सिंह ने बताया कि वह अपनी पत्नी लक्ष्मी देवी बड़ी बेटी 22 वर्षीय उपासना उर्फ शिवानी और अपने दो छोटे बेटों के साथ रहते हैं।उनकी बेटी शिवानी की तबीयत 18 नवंबर को अचानक ही खराब हुई तो वह पड़ोस में स्थित जीवन ज्योति अस्पताल में चेकअप के लिए ले गए।लेकिन चिकित्सकों ने उन्हें गंभीर बीमारी का हवाला देते हुए एडमिट कर लिया और आनन-फानन में सभी टेस्ट कराए गए। जिसके बाद उन्हें बताया गया कि 60,000 प्लेटलेट हैं और हिमोग्लोबिन 5:50 है। चिकित्सकों ने शिवानी को 4 यूनिट प्लेटलेट्स और 4 यूनिट खून भी चढ़ाया। लेकिन उसके बाद भी कोई सुधार होने की वजह शिवानी की हालत बिगड़ती चली गई तो अस्पताल प्रबंधन ने 21 नवंबर की रात 10:20 पर शिवानी को डिस्चार्ज कर दिया।जबकि बेड का चार्ज अगले दिन दोपहर तक का जमा था। डिस्चार्ज करते वक्त अस्पताल की तरफ से ₹1,21,000 भी लिए गए।
सोनू सिसोदिया ने बताया कि 22 तारीख सुबह ही वह अपनी बेटी को नंद ग्राम स्थित सेंट जोसेफ अस्पताल में ले गए तब तक उनकी पुत्री कोमा में जा चुकी थी। इसलिए चिकित्सकों ने शिवानी को आईसीयू में ही भर्ती किया।अभी तक की स्थिति देखते हुए साफ तौर पर जाहिर है कि शिवानी की इस हालत के जिम्मेदार जीवन ज्योति अस्पताल के चिकित्सक वह मालिक ही रहे हैं। शिवानी का सेंट जोसेफ अस्पताल में लगातार उपचार चला वहां पर खून की कमी या प्लेटलेट की कमी नहीं बताई गई। लेकिन चिकित्सकों के तमाम प्रयास के बाद भी शिवानी को होश नहीं आया और आखिरकार 25 नवंबर की रात 9:00 बजे शिवानी को वेंटिलेटर पर रखा गया और 27 नवंबर को सुबह 5:50 पर शिवानी की मौत हो गई।
उन्होंने बताया कि शिवानी पढ़ाई में शुरू से ही बहुत होशियार थी और b.a. सेकंड ईयर की छात्रा थी शिवानी पढ़ लिख कर सरकारी अफसर बनना चाहती थी।शिवानी बहुत हौसला रखने वाली भी थी। लेकिन अचानक ही शिवानी की मौत के बाद से उनका पूरा परिवार गहरे सदमे में है। जिस दिन से शिवानी अपनों का साथ छोड़कर चली गई तब से शिवानी की मां लक्ष्मी देवी ने ना ही तो खाना खाया है और वह केवल और केवल जीवन ज्योति अस्पताल के चिकित्सकों और उसके मालिकों को ही कोस रही है। क्योंकि शिवानी के जाने के बाद उनका घर बिल्कुल सूना हो गया है। सोनू सिसोदिया का कहना है कि जिस तरह से उनकी लाडली केवल चिकित्सकों की लापरवाही के कारण इस दुनिया में नहीं है।इस तरह से किसी और की लाडली या अन्य कोई ऐसे लापरवाह चिकित्सकों की भेंट ना चढ़ें। इसलिए ऐसे अस्पतालों के खिलाफ निश्चित तौर पर कठोर कार्रवाई होनी चाहिए।
सोनू सिसोदिया ने बताया कि शिवानी की तबीयत जब से खराब हुई और उसकी मौत तक के जिम्मेदार सीधे तौर पर जीवन ज्योति अस्पताल के चिकित्सक और मालिक डॉ सितारा खातून और डॉआसिफ खान की घोर लापरवाही रही है।क्योंकि उनकी बेटी बहुत अच्छी हालत में जीवन ज्योति अस्पताल में गई थी। सोनू सिसोदिया ने बताया कि फिलहाल उन्होंने अपनी बेटी की मौत के जिम्मेदार चिकित्सकों और अस्पताल के मालिकों के खिलाफ थाना विजय नगर में एक तहरीर दी है। इसके अलावा मुख्य चिकित्सा अधिकारी से भी एक चैनल के माध्यम से अस्पताल के हर पहलू पर अस्पताल की जांच की भी मांग की एक शिकायत मुख्य चिकित्सा अधिकारी को सौंपी है।
इस पूरे मामले की जानकारी लेने के लिए तेजस न्यूज़ संवाददाता ने अस्पताल के मालिक आसिफ खान से फोन के माध्यम से जानकारी लेने का प्रयास किया तो फोन पिक नहीं हुआ।उधर थाना विजयनगर की प्रभारी निरीक्षक अनीता चौहान का कहना है कि इस तरह का मामला सामने आया है। फिलहाल पीड़िता के परिजनों के द्वारा तहरीर दी गई है। जिसके आधार पर जांच शुरू कर दी गई है। जो भी तथ्य सामने आएंगे उनके आधार पर मामला दर्ज कर अग्रिम वैधानिक कार्रवाई की जाएगी।