तीर्थंकर बालक के जन्म लेते ही अयोध्या नगरी में बज उठे ढ़ोल नगाड़े
विश्व की अलौकिक कृति बड़ा गांव के त्रिलोक तीर्थ धाम में चल रहे पंचकल्याण महामहोत्सव में शनिवार को तीर्थंकर बालक का जन्म हुआ। अयोध्या नगरी में ढोल नगाड़े बजे। तीर्थंकर के वैभव से वैराग्य की ओर जाने के वृतांत का मंचन हुआ। लोकांतिक देवों ने पृथ्वी पर आकर उनको मुनि की दीक्षा दिलाई।
पंचकल्याणक महाविधान-
तीर्थंकर बालक के जन्म लेते ही अयोध्या नगरी में बज उठे ढ़ोल नगाड़े
खेकड़ा, तेजस न्यूज रिपोर्टर
विश्व की अलौकिक कृति त्रिलोक तीर्थ धाम में चल रहे पंचकल्याण महामहोत्सव में शनिवार को तीर्थंकर बालक का जन्म हुआ। अयोध्या नगरी में ढोल नगाड़े बजे। तीर्थंकर के वैभव से वैराग्य की ओर जाने के वृतांत का मंचन हुआ। लोकांतिक देवों ने पृथ्वी पर आकर उनको मुनि की दीक्षा दिलाई।
बड़ा गांव के त्रिलोक तीर्थ धाम के प्रांगण में बने भव्य पंडाल में महोत्सव सुबह देव आराधना के साथ शुरू हुआ। इसके बाद प्रभु का अभिषेक किया गया। शांति धारा की गई। नित्य पूजा की गई। तीर्थंकर बालक के जन्म कल्याणक का पूजन हवन हुआ। तीर्थंकर बालक के जन्म का पता चलते ही अयोध्या नगरी में ढोल नगाड़े बज उठे। देवो में उनकी झलक पाने की होड़ लग गई। सौधर्म इंद्र और शचि इंद्राणी बालक को माता के पास से बाहर लाए। फिर तीर्थंकर बालक का जलाभिषेक जुलूस निकला। बैंड बाजों के साथ जुलूस ने समूचे अतिशय क्षेत्र में भ्रमण किया। पांडुक शिला पर तीर्थंकर बालक का जलाभिषेक किया गया। इसके बाद जलूस वापस धाम में पहुंचा। जुलूस में सभी इंद्र इंद्राणी रथो पर सवार रहे। सौधर्म इंद्र ने धन वर्षा की जैन धर्मीवलंबी प्रभु के भजनों पर झुमते रहे। दोपहर में राज दरबार लगा। वहां नीलांजना का नृत्य हुआ। नृत्य के बाद तीर्थंकर भगवान को वैराग्य हुआ। लोकांतिक देवों ने पृथ्वी लोक पर आकर तीर्थंकर को वैराग्य कराया। उनको विधिविधान से जैन मुनि की दीक्षा दिलाई। अंकन्यास संस्कार रोपण कराया। जैन धर्मावलंबियों ने पाद प्रक्षालन किए। इसके बाद तीर्थंकर वन गमन को निकल गए। सांयकाल मंगल आरती के साथ शास्त्र सभा हुई। पूजन में सैकड़ो जैन धर्मावलम्बी शामिल रहे।
अनुष्ठान में ये रहे मुख्य पात्र
जन्म कल्याणक अनुष्ठान में तरूशी जैन और काव्य जैन, नीलांजना बनी लिली जैन और चेतना जैन, सौभाग्यवती बनी दीपक जैन, दिवाकर जैन, रेशमा जैन और सौम्य जैन ने तीर्थंकर बालक को झूलना झुलाया। बालक रेयांश जैन तीर्थंकर बालक के सखा बने। प्रदीप जैन ने दीप प्रज्वलित किया। विजय कुमार जैन, अजय जैन, शशि जैन और सुशील कुमार जैन ने प्रभु के चित्रों का अनावरण किया। गजराज गंगवाल परिवार ने भोजन की व्यवस्था कराई।
पूर्व केन्द्रीय मंत्री ने जैन संतों का लिया आशीर्वाद
भाजपा के पूर्व केन्द्रीय मंत्री डा. सतपाल सिंह शनिवार को अनुष्ठान में पहुंचे। उन्होंने वहां पर प्रभु की पूजा अर्चना की। जैन संतों से आशीर्वाद लिया। त्रिलोक तीर्थ की भव्यता को निहारा और धाम के उत्थान में पूर्ण सहयोग देते रहने की घोषणा की। धाम कमेटी के पदाधिकारियों ने उनका स्वागत किया।
बोले आचार्य ज्ञेय सागर, जीवन सुधार के लिए मन को संभालना जरुरी
जैन संत आचार्य ज्ञेयसागर महाराज ने महामहोत्सव में शामिल धर्मावलम्बियों को आशीर्वाद दिया। कहा कि मन की पवित्रता से जीवन आगे बढ़ता है। क्योंकि जीवन में मन ही है जो भटकता है और जीवन को भी भटकाता है। यदि वह अपने वश में हो जाता है तो जीवन का उत्थान हो जाता है। भगवान महावीर कहते हैं कि तीर्थंकर की वाणी तुमने कितनी ही बार सुनी, उसका क्या फर्क पड़ा। उसका कोई असर नहीं हुआ तो सुनने से क्या फायदा। मनुष्यत्व को प्राप्त करने के लिए धर्म श्रवण करना जरूरी है। पत्थर की मूर्ति एक बार मंदिर में लगने के बाद परमात्मा बन जाती है, लेकिन मोह माया के जाल में फसे मानव की मंदिर जाकर लौटते हुए जिदंगी बीत जाती है। फिर भी वह पत्थर ही बन कर लौटता हैं।। संसार की चमक धमक से निकल कर सच्चे मन की भक्ति पूजा से ही भगवान मिलते है।