गाजियाबाद की डासना जेल में बंद बंदी और कैदियों की टीम राष्ट्रीय ध्वज बनाने में जुटी शुरुआती दौर में 12000 राष्ट्रीय ध्वज बनाने का दिया गया लक्ष्य
तेजेश चौहान तेजस
गाजियाबाद की डासना जेल में बंद बंदी और कैदी इन दिनों तिरंगा बनाने में जुटे हुए हैं।जेल प्रशासन के मुताबिक फिलहाल 12000 तिरंगा बनाए जाने का लक्ष्य 50 कारीगरों की टीम को दिया गया है।जिसे लेकर तिरंगा बनाने वाली टीम बेहद उत्साहित भी है।इन सभी तरंगों का इस्तेमाल केंद्र सरकार की घोषणा के बाद आजादी की 75 वीं वर्षगांठ को अमृत महोत्सव के माध्यम से खास अंदाज में मनाने के लिए किया जाएगा। केंद्र सरकार के मुताबिक करीब 25 करोड़ घरों पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने की तैयारी की जा रही है। इसी को लेकर हर जिले में बड़ी संख्या में तिरंगा तैयार किए जा रहे हैं।
इस पूरे मामले की जानकारी देते हुए गाजियाबाद की डासना जेल के जेल अधीक्षक आलोक सिंह ने बताया कि केंद्र सरकार इस बार आजादी की 75 वीं वर्षगांठ 13 अगस्त से 15 अगस्त तक घर घर तिरंगा फहरा कर मनाने जा रही है।
जिसके लिए हापुड़ की जिलाधिकारी की तरफ से 10,000 व रोटरी क्लब गाजियाबाद की तरफ से 2000 राष्ट्रीय ध्वज बनाने की मांग की गई है।
उन्होंने बताया कि इसके लिए जेल में बंद बंदियों में से पेशे से दर्जी की तलाश की गई, तो पता चला कि वर्ष 2012 से पत्नी की हत्या के आरोप में बदायूं का रहने वाला बंदी दिनेश उर्फ गुड्डू एवं पति की हत्या के आरोप में आजीवन कारावास की सजा काट रही मेहसर पेशे से दर्जी हैं। सबसे पहले उन्हें ध्वज बनाने के बारे में बताया गया।उसके बाद इन लोगों ने करीब 100 बंदियों को इसका प्रशिक्षण दिया।अब इनके निर्देशन में ही शमशेर, मनोज, सिकंदर, दिनेश, पावन कृष्णा ,मेहसर, गुलदस्ता, कुसुम और अनूपमा समेत करीब 50 कारीगरों की टीम लगातार राष्ट्रीय ध्वज बनाने में जुटी हुई है।उन्होंने कहा कि बंदियों के द्वारा बनाये गए रष्ट्रीय ध्वज हर घर तिरंगा योजना का हिस्सा बनेंगे।
और यह गाजियाबाद की डासना जेल के लिए बड़े सौभाग्य की बात है।उन्होंने कहा कि अधिक से अधिक राष्ट्रीय ध्वज बनाए जाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं और बड़ी बात यह है कि राष्ट्रीय ध्वज बनाने वाली टीम भी बेहद उत्साहित है।