निठारी कांड के मुख्य गवाह पर झूठे बयान दिए जाने के मामले में न्यायालय ने साडे तीन साल की सजा सुनाते हुए 20,000 का जुर्माना भी लगाया

निठारी कांड के मुख्य गवाह पर झूठे बयान दिए जाने के मामले में न्यायालय ने साडे तीन साल की सजा सुनाते हुए 20,000 का जुर्माना भी लगाया
तेजेध चौहान तेजस------
नोएडा के बहुचर्चित निठारी कांड मामले में निठारी निवासी नंदलाल को अपने बयान बदल कर झूठे बयान दर्ज किए जाने के मामले में गाजियाबाद की एसीजेएम कोर्ट संख्या 3 ने दोषी मानते हुए धारा 193 के अंतर्गत साढ़े तीन साल की सजा और ₹10000 का जुर्माना एवं धारा 199 आईपीसी के तहत भी साडे तीन साल की सजा और ₹10000 का जुर्माना लगाते हुए सजा सुनाई है।

आपको बताते चलें कि निठारी की रहने वाले नंदलाल की पुत्री पायल और दीपिका अपनी व अपने भाई की नौकरी की तलाश कर रही थीं। जिसे 7 मई 2006 को नौकरी के लिए मोनिंदर सिंह पंढेर ने बुलाया था। लेकिन उसके बाद से वह वापस नहीं लौटी, तो 8 मई 2006 को नंदलाल ने नोएडा थाना सेक्टर 20 मे गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। दिनांक 24/ 8 /2006 को नंदलाल ने कोर्ट के माध्यम से धारा 363 /366 आईपीसी के तहत मोनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोली के खिलाफ मामला दर्ज कराया। जब गहन जांच हुई तो पायल का मोबाइल सुरेंद्र कोली के पास से बरामद हुआ और सुरेंद्र कोली व पंधेर की निशानदेही पर कोठी नंबर D5 के नाले व गैलरी से पायल की चप्पल ,कपड़े के अलावा अनेकों नर कंकाल भी बरामद हुए। जिनके डीएनए लेकर वहां के गायब हुए बच्चों के माता-पिता का डीएनए से मिलान किया गया। यानी इस मामले में कुल 16 मुकदमे दर्ज किए गए थे। यह सभी मामले दिनांक 11 जनवरी 2007 को सीबीआई को ट्रांसफर हो गए। इन 16 मामलों में पंढेर के खिलाफ केवल 6 मामले चले। जिसमें सिर्फ पंधेर को तीन मामलों में फांसी की सजा हुई। लेकिन पायल के मामले में नंदलाल पहले दिए बयानों से मुकर गया तो पंधेर फांसी की सजा से बच गया।

इस पूरे मामले की जानकारी देते हुए इस पूरे मामले की पैरवी करने वाले अधिवक्ता खालिद खान ने बताया कि 22 मार्च 2007 को सीबीआई ने पायल के मामले में सुरेंद्र कोली के खिलाफ हत्या आदि लेकिन पंधेर के खिलाफ केवल अनैतिक व्यापार कानून में चार्जशीट पेश की। पूर्व सीबीआई जज श्रीमती रमा जैन के सामने दिनांक 6 /7 /2007 को नंदलाल ने कोर्ट में अपना बयान दिया कि मोनिंदर सिंह पंढेर ने मेरे सामने सभी हत्याओं को किए जाने का जुर्म कबूल कर लिया था और मेरे सामने ही पंढेर और सुरेंद्र कोली ने हत्या में इस्तेमाल आरी भी बरामद कराई थी। इन बयानों पर नंदलाल ने ही पंधेर को हत्या का आरोपी भी बनवाया। लेकिन इसके बाद नंदलाल पंधेर को फांसी से बचाने के लिए दिनांक 15/ 11/ 2007 को अपने बयानों से मुकर गया और झूंठे नए बयान दिए कि " पंधेर ने ना तो मेरे सामने आरी बरामद कराई और ना ही हत्याएं किए जाने का जुर्म भी कबूल किया था।नंदलाल ने अपने बयानों में कहा कि मैंने पहले वाला बयान अपने वकील खालिद खान के कहने पर दिया था। जिसके बाद निठारी पीड़ित ही वंदना सरकार व अनिल हलदर ने 19/ 11/ 2007 को अधिवक्ता खालिद खान से सीबीआई कोर्ट में नंदलाल के खिलाफ बयान से मुकरने का मामला धारा 193 /199 आईपीसी में पेश कराया तो पूर्व सीबीआई जज श्रीमती रमा जैन ने भी स्वयं यह मामला दर्ज कराया। उन्होंने बताया कि पायल के मामले में तब रंजीशन नंदलाल ने उत्तराखंड में अपनी हत्या के प्रयास का एक फर्जी मुकदमा   उनके खिलाफ दर्ज कराया दिया था। जिसे पुलिस ने झूठा पाकर समाप्त कर दिया।

अधिवक्ता खालिद खान ने बताया कि माननीय हाईकोर्ट इलाहाबाद में 3 माह में इस केस को निपटाने का आदेश दिया था। दिनांक 9/5/2022 को निर्णय को रोकने के लिए फिर नंदलाल ने डिस्चार्ज प्रार्थना पत्र दिया जो दिनांक 13 /5 /2022 को खारिज हो गया और जिला जज ने 24/5/ 2022 को खारिज करते हुए नियत तिथि पर निर्णय करने का आदेश दिया। जिसके चलते 27/5/ 2022 को न्यायालय एसीजेएम कोर्ट संख्या 3 गाजियाबाद ने धारा 193 /199 आईपीसी के तहत नंदलाल को दोषी करार देते हुए उसका अंतरिम जमानत प्रार्थना पत्र खारिज करते हुए नंदलाल को जेल भेज दिया था और आज 31/5/2022 को कोर्ट ने नंदलाल को दोषी मानते हुए 193 धारा के अंतर्गत साडे तीन साल की सजा और ₹10000 का जुर्माना वहीं धारा 199 के तहत भी
साडे तीन साल की सजा और ₹10000 का जुर्माने की सजा सुनाई है। यानी दोनों धाराओं के तहत कुल साडे तीन साल की सजा और ₹20,000 का जुर्माना लगाया गया है।