बडागांव में पारस प्रभु का निर्वाण महोत्सव शुरू
बडागांव में पारस प्रभु का निर्वाण महोत्सव शुरू
खेकड़ा, तेजस न्यूज रिपोर्टर
पारस प्रभु अतिशय क्षेत्र बड़ागांव के दिगंबर जैन मंदिर में पारस प्रभु का दो दिवसीय निर्वाण महोत्सव विधिवत रूप में शुरू हो गया। हजारों पैदल यात्री विभिन्न शहरों से पैदल चलकर बडागांव पहुंचे।
महोत्सव में सुबह के समय पारस प्रभु का सामूहिक पूजन किया गया। फिर पारस प्रभु विधान हुआ। विधान पूजन में बड़ी संख्या में जैन धर्मावलंबी शामिल हुए। विधान के बाद झंडा रोहण हुआ। शाम के समय महोत्सव में शामिल होने के लिए दिल्ली, बड़ौत और बागपत आदि क्षेत्रों से हजारों जैन धर्मावलंबी पैदल यात्रा के जरिए धर्मानगरी पहुंचे। खेकड़ा में उनका स्वागत किया गया। उनके खान-पान की व्यवस्था की गई। महोत्सव में रात के समय पारस प्रभु के जीवन पर आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए।
प्राचीन कुएं से 1922 में अवतरित हुए थे पारस प्रभु
भगवान पारसनाथ के अतिशय क्षेत्र बड़ा गांव का नाम लंकापति रावण से भी जुड़ा हुआ है। वर्ष 1922 में गांव में क्षुल्लक आनंद कीर्ति जी महाराज विहार करते हुए पहुंचे थे। रात में वे गांव के बाहर टीले पर रुके थे। रात में पारस प्रभु ने उन्हें दर्शन दिए थे। कहा था कि वे टीले के अंदर विराजमान है। आनंद कीर्ति जी महाराज ने इसकी जानकारी बड़ागांव के जैन समाज के लोगों के साथ मुबारिकपुर गांव के बाल ब्रह्मचारी पंडित श्यामलाल जैन और जीवन जैन को दी। इसके बाद टीले की खुदाई शुरू की गई। करीब 20 फीट की खुदाई के बाद पारस प्रभु की पाषाण काल की प्रतिमा मिली। प्रतिमा को जैसे ही जीवन जैन ने उठाया तो वहां पानी की फव्वारा फूट पड़ा। आनंद कीर्ति जी महाराज ने तभी प्राचीन दिगंबर जैन मंदिर की नींव रखी। तब मंदिर को बहुत छोटे स्वरूप का बनाया गया था। प्रतिमा को उसमें विराजमान किया गया था। अब यह गांव जैन धर्म की बड़ी तीर्थस्थली बन चुका है।
रविवार को चढेगा निर्वाण का लडडू
रविवार की सुबह पारस प्रभु पर निर्वाण का लड्डू चढ़ाया जाएगा। धर्मनगरी में सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए गए हैं। मंदिर कमेटी के सुभाष जैन ने बताया कि महोत्सव जैन संत त्रिलोक भूषण, चंद्रावती माताजी, मुक्ति भूषण माताजी, दृष्टि भूषण माताजी और अनुमति भूषण माताजी के सानिध्य में हो रहा है।