तेजेश चौहान, तेजस
अक्सर आपको चौराहों और भीड़ वाले इलाके में नाबालिक बच्चे भीख मांगते या चौराहों व गलियों में बेवह घूमते हुए नजर आ जाते हैं। लेकिन अब आपको शायद इस तरह की तस्वीर देखने को नहीं मिलेगी। क्योंकि गाजियाबाद में भी बाल संरक्षण के अधिकारियों ने सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशानुसार सख्ती बरतते हुए नाबालिक बच्चों को रेस्क्यू करना शुरू कर दिया है ? जिसके तहत गुरुवार को बाल श्रम आयोग के अधिकारियों ने 7 बच्चों को रेस्क्यू किया है।
नाबालिक बच्चे सड़क या चौराहों पर भीख ना मांगे और या वह ऐसे ही बेवजह ना घूमे, इसे गंभीरता से लेते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने प्रदेश सरकार को आदेश जारी किये हैं। कि जहां पर भी इस तरह बच्चे पाए जाते हैं। उन्हें रेस्क्यू कर बाल संरक्षण की गाइडलाइन के तहत ऐसे सभी नाबालिग बच्चों को रेस्क्यू किया जाए और उनका पुनर्वास कराते हुए उनकी शिक्षा पर ध्यान दिया जाए। ताकि वह सरकार की किसी योजना से जुड़ सकें।जिसके तहत अब गाजियाबाद में भी बाल श्रम आयोग की तरफ से अब एक विशेष अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान के दौरान गाजियाबाद में गुरुवार को 7 बच्चों को रेस्क्यू किया गया है।
इस पूरे मामले की जानकारी देते हुए जिला बाल संरक्षण अधिकारी जितेंद्र कुमार ने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश अनुसार निर्देश प्राप्त हुए हैं। कि जो भीख मांगने वाले बच्चे, स्ट्रीट चिल्ड्रन या जो फुटपाथ पर रहते हैं, या फुटपाथ पर आते हैं और शाम को चले जाते हैं, या फिर उनके माता-पिता भी फुटपाथ पर ही रहते हैं और उनसे भीख मंगवाते हैं, या फिर वह ऐसे ही घूमते रहते हैं। ऐसी सभी बच्चों को रेस्क्यू कर बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है।उसके बाद बाल कल्याण समिति ही उस पर निर्णय लेती है कि इन बच्चों को किस तरह से इन बच्चों को शिक्षा दी जा सकती है ,या किस योजना से जोड़ना है या फिर किस तरह से इन का पुनर्वास किया जा सकता है। यानी सरकार की इस तरह की योजना से जोड़ने का उद्देश्य है। ताकि उनके परिवार को कुछ लाभ मिल सके और इन बच्चों का भविष्य उज्जवल हो सके।
उन्होंने बताया कि इस तरह का अभियान सर्वोच्च न्यायालय के मई में मिले आदेश अनुसार पूरे प्रदेश में विशेष अभियान चलाया जा रहा है।लेकिन गाजियाबाद में भी अब शुरू कर दिया गया है। सबसे पहले कुछ हॉटस्पॉट चिन्हित किए जाते हैं। उसके बाद मौके पर पहुंचकर इन बच्चों की रेस्क्यू का अभियान चलाया जाता है। फिलहाल यह अभियान 31 मई तक चलाया जाना है। उन्होंने बताया कि जिन बच्चों को रेस्क्यू किया जाता है। उनका पूरा डाटा लिया जाता है और उनके माता-पिता की भी पूरी जानकारी की जाती है। कि वह कहां रह रहे हैं और अब वह उन बच्चों से क्या करवा रहे हैं। उन्होंने बताया कि उनका पूरा उद्देश्य यह रहता है। कि इन बच्चों को किसी तरह से भी शिक्षा दिलाते हुए सरकार की किसी भी योजना से जोड़ा जाए।
हालांकि बाल संरक्षण अधिकारी इस तरह का दावा तो जरूर कर रहे हैं। लेकिन देखने वाली बात यह होगी कि यह योजना किस तरह से अमल में लाई जाती है और उसका कितना प्रभाव पड़ता है। यह तो आने वाला वक्त ही बयां कर पाएगा। क्योंकि गाजियाबाद में इन दिनों कोई भी ऐसा चौराहा नहीं है। जहां पर छोटे बच्चे भीख मांगते या फुटपाथ पर रहते हुए नजर ना रहे हो।