बेटियों ने किया पिता का अंतिम संस्कार
खेकड़ा कस्बे की एक विवाहिता ने भाई ना होने के चलते अपने पिता की चिता को मुखाग्नि देकर बेटे के समान धार्मिक रस्मों को पूरा किया। विवाहिता के इस कदम की कस्बे के लोग प्रशंसा कर रहे है।
बेटियों ने किया पिता का अंतिम संस्कार
- शव को कंधा देकर शमशान घाट तक भी ले गई
खेकड़ा, तेजस न्यूज रिपोर्टर
कस्बे की एक विवाहिता ने भाई ना होने के चलते अपने पिता की चिता को मुखाग्नि देकर बेटे के समान धार्मिक रस्मों को पूरा किया। विवाहिता के इस कदम की कस्बे के लोग प्रशंसा कर रहे है।
कस्बे के चक्रसैनपुर मौहल्ले के पंडित पंकज कौशिक की धर्मपत्नी मांसी कौशिक ने अपने पिता की चिता को मुखाग्नि देकर समाज को संदेश दिया है कि बेटियां आज सबकुछ कर सकती है। अम्बाला के बलराम शर्मा की बेटी मांसी कौशिक के कोई भाई ना होने के कारण बचपन से ही अपने पिता का बेटा बनकर रही। मांशी और उनकी छोटी बहन स्मृति ने सभी जरूरतों को एक बेटे के समान पूरा किया। मंगलवार को कैंसर के चलते बलराम शर्मा का निधन हो गया। सनातन हिन्दू धर्म में पिता की चिता को बेटे का ही मुखाग्नि देने का प्रावधान है। लेकिन मांशी और स्मृति के पिता ने अपने अंतिम दिनों में बेटी मांशी व स्मृति को ही उनकी चिता में अग्नि देने की इच्छा जताई थी। बेटियों ने उनकी इच्छा को पूरी करते हुए न केवल मुखाग्नि दी, बल्कि बेटे के सभी कार्य एक बेटी होते हुए पूरे किए। जब बेटियों ने अंतिम संस्कार किया तो वहां मौजूद हर एक शख्स की आंखों में आंसू आ गए। लोगों में ये प्रकरण चर्चा का विषय बना रहा।