महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी ने चारों पीठो के शंकराचार्यो को लिखा पत्र
दारुल उलूम देवबंद द्वारा गजवा ए हिन्द को सही बताने के बाद शिवशक्ति धाम डासना के पीठाधीश्वर व श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी महाराज का संघर्ष और बढ़ गया है
तेजस न्यूज संवाददाता
महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी महाराज ने चारो पीठों के शंकराचार्यो को पत्र लिख कर विश्व धर्म संसद का मार्गदर्शन करने की प्रार्थना की।
*शिवशक्ति धाम डासना में इस्लामिक जिहाद और उसके समाधान हेतु होगी विश्व धर्म संसद*
*सम्पूर्ण विश्व के सभी काफिर धर्मगुरुओं को भेजा जाएगा विश्व धर्म संसद का निमंत्रण*
*महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी महाराज ने संरक्षण, मार्गदर्शन और सहयोग हेतु सभी सनातनी धर्मगुरुओं के सामने फैलाये अपने हाथ*
दारुल उलूम देवबंद द्वारा गजवा ए हिन्द को सही बताने के बाद शिवशक्ति धाम डासना के पीठाधीश्वर व श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी महाराज का संघर्ष और बढ़ गया है।वो पिछले 25 से अधिक वर्षो से हिन्दुओ को गज़वा ए हिन्द के बारे में जागरूक करने का प्रयास कर रहे थे।जब दारुल उलूम देवबंद की मजलिश ए शूरा ने गज़वा ए हिन्द को सही बताकर अपने खूनी इरादों और लक्ष्यों को दुनिया के सामने रख ही दिया है तो अब समझने और समझाने की लिये कुछ भी नहीं बचा है परंतु दिशाहीन और दिग्भ्रमित हिन्दू समाज कुछ भी मानने और समझने को तैयार नही है।ऐसे में सम्पूर्ण विश्व के समक्ष इस्लामिक जिहाद के खतरे को रखने के लिये महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी महाराज विश्व धर्म संसद का आयोजन कर रहे हैं जिसके आयोजन के लिये उन्होंने संरक्षण, मार्गदर्शन और सहयोग हेतु सनातन के धर्माचार्यो के समक्ष हाथ फैलाये हैं।
उन्होंने सर्वानंद घाट से चारो पीठो के शंकराचार्यो को पत्र लिख कर उनसे शिवशक्ति धाम डासना में 17,18,19,20 और 21 दिसम्बर 2024 को आयोजित होने वाली विश्व धर्म संसद का संरक्षण व मार्गदर्शन के करने की प्रार्थना की तथा उनसे इस महान कार्य मे यथोचित सहयोग करने का भी निवेदन किया।सर्वानंद घाट पर उनके साथ डॉ उदिता त्यागी,यति रामस्वरूपानंद,यति नित्यानंद , यति निर्भयानंद ,यति रणसिंहानन्द,यति यतींद्रानंद तथा अन्य उपस्थित थे।सर्वानंद घाट पर उन्होंने सर्वप्रथम माँ गंगा और महादेव की पूजा अर्चना करके सनातन धर्म के सभी शत्रुओ के समूल विनाश की कामना की।
चारो पीठो के शंकराचार्यो को पत्र में उन्होंने लिखा है कि आप सनातन धर्म के सबसे मजबूत स्तम्भ हैं और सबसे पवित्र परम्परा के वाहक भी।आज सनातन धर्म सम्पूर्ण विनाश के कगार पर है। ऐसे में मैं,श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़े का महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी, आपश्री के श्रीचरणों में कुछ निवेदन करना चाहता हूँ।यदि आपश्री को मेरी किसी भी बात से कोई ठेस पहुँचे तो मुझे क्षमा करने की कृपा करियेगा।मैं आपश्री को यह पत्र अपनी किसी व्यक्तिगत आकांक्षा, पीड़ा या उद्देश्य से नही लिख रहा हूँ अपितु सनातन धर्म और सम्पूर्ण मानवता सहित हम सब के अस्तित्व पर आए आज तक के सबसे बड़े संकट ने मुझे आपश्री को यह पत्र लिखने के लिये बाध्य किया है।मैं इस पत्र के माध्यम से आपश्री को यह बताना चाहता हूं कि आज से लगभग 1400 से कुछ अधिक वर्ष पहले अरब के रेगिस्तान से उठा मोहम्मद का गिरोह जिसे इस्लाम के नाम से जाना जाता है,अब सम्पूर्ण मानवता को नष्ट करने के कगार पर पहुँच चुका है।
हम अर्थात सनातन के मानने वाले इस गिरोह के सबसे निरीह शिकार बने हैं।अपने जन्म के साथ ही मोहम्मद के अनुयायियों ने मक्का में हमारे शिव व शक्ति के मंदिर को ध्वस्त करके वहाँ सभी सनातनियों को धर्म परिवर्तन के लिये मजबूर कर दिया।जिन शिव और माँ जगदम्बा के भक्तों ने धर्म परिवर्तन को स्वीकार नही किया,उन सबकी दुर्दांत हत्या कर दी।तब से आज तक कई करोड़ सनातनी तथा अन्य आस्थाओं वाले निर्दोष मानव विश्व के अलग अलग हिस्सों में मोहम्मद के अनुयायियों के द्वारा कत्ल किये जा रहे हैं।यूँ तो मोहम्मद के अनुयायियों ने हर वर्ग,आस्था और विश्वास वाले जन समुदाय के साथ हर तरह की नृशंसता की और सबके धार्मिक स्थलों को ध्वस्त करने वहाँ मस्जिद बनाई परन्तु हम सनातनी जिन्हें वो काफिर और मुशरिक मानते हैं, हम उनका सबसे प्रिय और आसान शिकार बनें।
मोहम्मद के अनुयायी दुनिया के कोने कोने में हमें शिकार बनाते रहे रहें और हम हर जगह से अपने लाखो करोड़ो लोगो को मरवा कर,अपनी बहन बेटियों को उनकी गुलाम और रखैल बनने के लिये छोड़ कर,लूट पिट कर पलायन करके इस भूभाग में आते रहे जिसे आज का भारत कहा जाता है।अब परिस्थितियां कुछ ऐसी बन रही है कि सम्पूर्ण भारत इस्लाम के कब्जे में आने वाला है।
भारतवर्ष में जनसंख्या की गणितीय गणनाओ से यह सुनिश्चित हो चुका है कि 2029 में भारत का प्रधानमंत्री कोई मोहम्मद का अनुयायी बन जायेगा।अगर देवाधिदेव भगवान महादेव शिव और जगद्जननी माँ जगदम्बा ने कोई विशेष चमत्कार किया तो यह घटना 2034 तक के लिये टल सकती है।अगर वर्तमान परिस्थितियों में कोई चमत्कारी परिवर्तन नहीं हुआ तो 2034 में कोई भी शक्ति किसी मोहम्मद के अनुयायी को भारत का प्रधानमंत्री बनने से नहीं रोक सकती।ऐसा होने के बाद सनातन धर्मावलंबियों के पास नाम मात्र के लिये भी कोई अपना देश नहीं रह जायेगा।
मोहम्मद के अनुयायियों के क्रूरतापूर्ण इतिहास और वर्तमान को देखते हुए यह निश्चित मानिये की जिस दिन भारत का प्रधानमंत्री कोई मोहम्मद का अनुयायी बना उस दिन के केवल बीस वर्ष में लगभग 40 प्रतिशत हिन्दू मर्दो का कत्ल करके 50 प्रतिशत हिन्दू मर्दो को धर्म परिवर्तन के लिये मजबूर करके मोहम्मद का अनुयायी बना दिया जाएगा।10 प्रतिशत हिन्दू मर्द जो बचेगे,वो या तो शरणार्थी शिविरों में रहेंगे या विदेशों में रहेंगे। हमारी सारी बहन बेटियां मोहम्मद के अनुयायियों द्वारा सामुहिक बलात्कार के बाद या तो मण्डियों में बेच दी जायेगी या रखैल बना कर रख ली जाएगी।हमारे सारे मठ मंदिर और पूजा स्थल तोड़ कर उनकी जगह पर मस्जिद बना ली जाएगी।जो हाल हम सनातनियों का होगा,वही हाल सभी ईसाइयो,यहूदियों तथा अन्य सभी गैर इस्लामिक धार्मिक समूहों का होगा।
यह स्थिति सम्पूर्ण मानवता के इतिहास का सबसे भयानक और घृणित भाग होगा क्योंकि भारतवर्ष पर कब्जा करने के बाद मोहम्मद के अनुयायी विश्व की सबसे बड़ी शक्ति होंगे।तब तक वो दुनिया के अनेक देशों में अपनी जनसंख्या बढ़ा कर लोकतंत्र के माध्यम से कब्जा कर चुके होंगे।उसके बाद देर सवेर हजारो मोहम्मद के अनुयायियों की फौज दुनिया के हर गैर मुस्लिम के घर तक पहुँचेगी और ये सम्पूर्ण विश्व एक नरक में परिवर्तित हो जाएगा।इस सम्पूर्ण महाविनाश के उत्तरदायी हम अर्थात सनातन के धर्मगुरु होंगे क्योकि सर्वाधिक प्राचीन धर्म व संस्कृति के वाहक होने के कारण यह हमारा ही दायित्व था कि हम इस भयानक खतरे के विषय मे सम्पूर्ण विश्व बताते और सम्पूर्ण विश्व में कहीं भी इस मानवता के कैंसर को पनपने नहीं देते।
परन्तु हमने ऐसा नहीं किया और हमारी कायरता और अकर्मण्यता के कारण आज यह कैंसर सम्पूर्ण मानवता को लील जाने के लिये बिल्कुल तैयार है।वस्तुतः अब तक हमने अपने धर्म और संस्कृति के संवाहक के रूप में ऐसा कोई कार्य नहीं किया कि जिससे विश्व में सनातन धर्म और वैदिक संस्कृति को जगद्गुरु या विश्वगुरु के रूप में पहचाना जा सके।एक बात हम सबको समझनी पड़ेगी की जगद्गुरु की अवधारणा का अर्थ ही है अधर्म,अज्ञान,अन्याय और अंधकार को समाप्त करके मानवता को धर्म,ज्ञान,न्याय और प्रकाश की ओर लेकर चलना।मोहम्मद की विचारधारा जिसे इस्लाम कहते हैं,के प्रामाणिक ग्रन्थों और मोहम्मदवाद अर्थात इस्लाम के उदय से वर्तमान तक मोहम्मद के अनुयायियों के घृणित कारनामो का अध्ययन करके यह बड़ी आसानी से समझा जा सकता है कि मोहम्मदवाद अर्थात इस्लाम ही 1400 से अधिक वर्षो से विश्व का सबसे बड़ा अधर्म,अज्ञान,अन्याय और अंधकार है।
हम सनातनी कुछ ज्ञात कारणों से इस्लाम के खतरे से निबटने में सक्षम नहीं हैं परंतु हम विश्व को इसे लेकर वैचारिक दिशा देने का प्रयास तो कर ही सकते हैं।आज समय है कि हम थोथे और बरगलाने वाले शब्द विन्यासों से निकलकर धर्म और मानवता की रक्षा के लिये सम्पूर्ण विश्व का आह्वान करें।यह हम सबका कर्तव्य है।मैं यति नरसिंहानंद गिरी,आपश्री के ज्ञान,तप और साधना के समक्ष बहुत ही तुच्छ हूँ और आर्थिक संसाधनों की दृष्टि से तो मैं एक दिन हीन भिखारी ही हूँ परन्तु आपश्री के आशीर्वाद से मैं अपने मुट्ठी भर साथियो के साथ अपनी गर्दन कटवाने के लिये बिल्कुल तैयार बैठा हुआ हूँ परन्तु हम सब अपना बलिदान मोहम्मदवाद अर्थात इस्लाम से वैचारिक रूप से लड़ते हुए देने को कटिबद्ध हैं।
हम इस वैचारिक संघर्ष को वैश्विक रूप देने के लिये शिवशक्ति धाम डासना जिला गाज़ियाबाद(उ प्र) में आगामी 17,18,19,20 और 21 दिसम्बर 2024 को *World Religious Convention* का आयोजन कर रहे हैं।इस आयोजन में सम्पूर्ण विश्व के गैर इस्लामिक धर्मगुरुओ क़ो निमंत्रित किया जायेगा और इस वैश्विक संकट पर गंभीर चर्चा की जाएगी।अगर यह सम्मेलन सफल होता है तो मानवता के साथ ही सनातन धर्म के बचने की राह प्रशस्त हो सकती है।आपश्री के चरणों मे मेरा विनम्र अनुरोध है कि एक महान ऐतिहासिक आयोजन में हमारे मुख्य संरक्षक व मार्गदर्शक बने और आयोजन में उपस्थिति के साथ ही हमारी आर्थिक सहायता भी करने की कृपा करें ताकी यह आयोजन अपने उद्देश्यों में सफल हो सके।
यह पत्र गोवर्धन पीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज,श्रृंगेरी शारदा पीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य श्री श्री श्री भारती तीर्थ महास्वामी,ज्योतिर्मठ के जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज व द्वारका शारदा पीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती जी महाराज को रजिस्टर्ड पोस्ट के द्वारा भेजे गए हैं।
इसके बाद यह पत्र सभी अखाड़ो के आचार्य महामंडलेश्वर, अध्यक्ष, सचिव व महामंडलेश्वरों सहित सभी सनातनी धर्मगुरुओं को भेजे जायेगे।