तेजेश चौहान,गाजियाबाद
गाजियाबाद में निकाय चुनाव की टिकट को लेकर भाजपा में सबसे ज्यादा मारामारी दिखाई दी। इतना ही नहीं कुछ लोगों का आरोप है। कि जो 25 साल पुराने कार्यकर्ता हैं उन्हें दरकिनार करते हुए नए लोगों को टिकट बेचा गया है।जैसे ही लिस्ट जारी हुई तो बड़ी संख्या में कार्यकर्ता कार्यालय के बाहर धरने पर बैठ गए और तमाम तरह की बयानबाजी जारी हुई। नामांकन के आखिरी दिन यानी सोमवार को भाजपा चुनाव कार्यालय पर टिकट और सिंबल को लेकर जमकर बवाल हुआ। टिकट के नाम पर वसूली का आरोप भी लगा।इतना ही नहीं वहां मौजूद कार्यकर्ताओं में आपस में जमकर जूतम पैजार हो गई।
कार्यालय पर कार्यकर्ताओं का जमावड़ा लगा हुआ था। इस दौरान कार्यालय के अंदर अमित बाल्मीकि जनरल वीके सिंह की पुत्री और भाजपा विधायक सुनील शर्मा और सभी कार्यकर्ता भी वहीं मौजूद थे। इसी दौरान टिकट के बंटवारे को लेकर चर्चा होने लगी और देखते ही देखते माहौल गर्म हो गया। कार्यालय में मौजूद टिकट की दौड़ में लगे कार्यकर्ताओं ने भाजपा के वरिष्ठ पदाधिकारियों के सामने जमकर हंगामा काटा। इतना ही नहीं आपस में लात घूंसे चले और थप्पड़ बाजी भी हो गई। बताया जा रहा है कि विधायक सुनील शर्मा को भी जमकर गाली-गलौज की गई। वहीं बाहर की तरफ प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ,प्रभारी मंत्री असीम अरुण, विधायक और मंत्री नरेंद्र कश्यप भी मौजूद थे।आखिरकार पुलिस मौके पर पहुंची और इस मामले को शांत कराया गया।
इससे पहले गाजियाबाद में बहुजन समाज पार्टी पर टिकट के नाम पर वसूली का आरोप लगा था।लेकिन अब नामांकन से 1 दिन पहले लिस्ट जारी होने के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई। बड़ी संख्या में लोग भाजपा से किनारा करते हुए नजर आए और उसी का परिणाम नामांकन के दिन सोमवार को उस वक्त सामने आया। उप मुख्यमंत्री और पार्टी के बड़े नेता भी वहां मौजूद थे। जब आश्चर्य की बात यह है कि भारतीय जनता पार्टी को भाजपा का आलाकमान की तरफ से सबसे ज्यादा अनुशासित पार्टी कहा जाता है। उसके बावजूद भी इस तरह का अमर्यादित अनुशासन दिखाई दिया। जब अनुशासित पार्टी के कार्यकर्ता ही इस हद तक आ जाएं तो अन्य पार्टियों का क्या होगा? इस बात को लेकर विपक्ष भाजपा पर जमकर चुटकी ले रहा है।