अंकित शर्मा
नहटौर/बिजनौर
दरबार फुलसंदा आश्रम में सत्पुरुष बाबा फुलसन्दे वालों का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया। दरबार फुलसंदा में एक दिन पहले से ही बाबा के अनुनायियों का आवागमन जारी हो गया। बाबा के अनुनायी यहां भारतबर्ष से ही नहीं बल्कि विदेशों से भी आते हैं।
दरबार फुलसंदा आश्रम में बाबा ने अपने प्रवचन के दौरान कहा कि ईश्वर का स्वरूप नाद और ज्योति प्रकाश हैं। ठीक वही स्वरूप हमारी आत्मा का रूप है। नाद और अमर ज्योति ये दो तत्व कभी समाप्त नहीं होते इसलिए आत्मा भी कभी समाप्त नहीं होती ये अपने अजर अमर स्वरूप में बनी रहती है।
वही बाबा ने कहा कि "गुरु के चरण पारस हैं। मुझे सोरण बना दिया मिट्टी को छू कर के देवता बना दिया" ब्रह्मरूप गुरु के चरण पारस जैसे हैं। जिन्होंने उन चरणों का स्पर्श किया यानी जो ज्ञान जो ज्योति गुरु के अंतकरण में है। वैसे ही प्रकाश जिसके ह्रदय में हो गया तो समझ लो चाहे वो व्यक्ति अपने जीवन में मिट्टी लेकिन धर्म आचरण के स्पर्श से वो दिव्यरूप धारण कर लेता हैं।
देवपुरुष बन जाता है देवता बन जाता हैं "गुरु कल्पतरु मेरे मैं था कीकर जैसा" मंत्र पढ़ा मुझपे फूलों जैसा बना दिया। सत्संग के पश्चात बाबा के सेवकों ने बाबा का तुलादान किया इसके पश्चात भंडारे का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में सोहंग देवता, धनपति देवता, राहुल देवता, सुमन चौहान, अग्नि देवता, दानी जी, ब्रह्मदत्त शर्मा, बबलू देवपुत्र, धनकुबेर, अंकित शर्मा, अनिता शर्मा, शिखा शर्मा, यमज्योति, रिंकी शर्मा, शर्मदा शर्मा, शिवम देवपुत्र आदि मौजूद रहे।