बचपन को स्क्रीन से नहीं, खुले आसमान और हरियाली से जोड़ें
खेकड़ा कस्बे के एडीके जैन आई हॉस्पिटल में मायोपिया जागरूकता सप्ताह के तहत संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर विशेषज्ञों ने बच्चों में बढ़ती मायोपिया यानि निकट दृष्टि दोष की समस्या पर चिंता जताई। अभिभावकों से आहवान किया कि वे बच्चों को स्क्रीन की दुनिया से निकालकर प्रकृति और हरियाली से जोड़ें।

मायोपिया जागरूकता सप्ताह-
बचपन को स्क्रीन से नहीं, खुले आसमान और हरियाली से जोड़ें
- एडीके जैन आई हॉस्पिटल में मायोपिया जागरूकता सप्ताह पर संगोष्ठी आयोजित
खेकड़ा, तेजस न्यूज रिपोर्टर
कस्बे के एडीके जैन आई हॉस्पिटल में मायोपिया जागरूकता सप्ताह के तहत संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर विशेषज्ञों ने बच्चों में बढ़ती मायोपिया यानि निकट दृष्टि दोष की समस्या पर चिंता जताई। अभिभावकों से आहवान किया कि वे बच्चों को स्क्रीन की दुनिया से निकालकर प्रकृति और हरियाली से जोड़ें।
संगोष्ठी में अस्पताल की सीईओ डा. रूमा गुप्ता ने विस्तार से जानकारी दी। बताया कि डिजिटल युग में जहां बच्चों को तकनीक से जोड़ा जा रहा है, वहीं यह उनकी आंखों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बनता जा रहा है। कार्यक्रम में बच्चों की आंखों की सेहत को लेकर कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर प्रकाश डाला गया। बताया कि मायोपिया एक आम दृष्टि दोष है जिसमें पास की चीजें तो साफ दिखती हैं, लेकिन दूर की चीजें धुंधली दिखाई देती हैं। यह समस्या खास तौर पर बच्चों और किशोरों में तेजी से बढ़ रही है। बच्चों में स्क्रीन टाइम की अधिकता, प्राकृतिक रोशनी में समय की कमी और आउटडोर खेलों की घटती भागीदारी इसके प्रमुख कारण हैं। पारिवारिक इतिहास भी इसमें एक अहम भूमिका निभाता है। वक्ताओं ने सुझाव दिए कि बच्चों को हर दिन कम से कम 90 से 120 मिनट बाहरी प्राकृतिक रोशनी में खेलने दें। पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों पर पढ़ाई का अत्यधिक दबाव न डालें। स्क्रीन टाइम उम्र के अनुसार सीमित करें, खासकर छोटे बच्चों के लिए 20-20-20 नियम अपनाएं। हर 20 मिनट बाद, 20 सेकंड के लिए, 20 फीट दूर देखें। बताया कि 2050 तक विश्व की आधी से अधिक आबादी मायोपिया से प्रभावित हो सकती है। समय पर पहचान और रोकथाम से इससे बचा जा सकता है। वक्ताओं ने अभिभावकों से बच्चों को डिजिटल दुनिया की सीमाओं से निकालकर प्राकृतिक वातावरण और आउटडोर खेलों से जोड़ने की अपील की। वक्ताओं में डा. उमा गुप्ता, डा. मंजू जैन, डा. शालिनी अग्रवाल, डा. मुग्धा जैन आदि शामिल रहे।