तेजेश चौहान, गाजियाबाद
गाजियाबाद के एक हनुमान मंदिर के गेट के बाहर बाकायदा एक बोर्ड लगाया गया है।जिसमें मंदिर समिति और मंदिर के महंत के द्वारा निर्देशित किया गया है। कि कोई भी भक्त छोटे वस्त्र पहन कर मंदिर में ना आएं।यानी जो भक्त छोटे वस्त्र पहनकर इस मंदिर में प्रवेश करेंगे तो उन्हें रोक दिया जाएगा। मंदिर समिति और मंदिर के महंत का मानना है। कि छोटे वस्त्र पहन कर आने वालों के कारण अन्य लोगों की आस्था पर चोट पहुंचती है और उनकी पूजा भंग होती है। इसलिए जो यह निर्णय लिया गया है। वह सभी भक्तों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। हालांकि इस तरह का बोर्ड मंदिर के गेट के बाहर लगाए जाने के बाद से मंदिर में आने वाले भक्त भी मंदिर समिति और महंत के इस निर्णय को सही करार दे रहे हैं।
गाजियाबाद के राज नगर सेक्टर 23 में हनुमान मंदिर है ,जो काफी प्रसिद्ध भी है। माना जाता है कि इस मंदिर में आने वाले लोगों की सभी मनोकामना पूरी होती हैं। लेकिन इस मंदिर के गेट के बाहर एक बोर्ड लगाया गया है। जिस पर मंदिर समिति और महंत के द्वारा एक संदेश दिया गया है। कि मंदिर में छोटे वस्त्र पहन कर आना सख्त मना है जिनमे महिला और पुरुष दोनों ही शामिल हैं। मंदिर के पुजारी और परमार्थ समिति के अध्यक्ष वी के अग्रवाल का कहना है कि अक्सर देखने में आया है।कि कुछ भक्त छोटे वस्त्र जैसे यानी हाफ पैंट, स्लीवलेस ,निक्कर, टीशर्ट,व तौलिया आदि पहन कर कुछ मंदिर में आते हैं। भले ही रहे पूजा अर्चना करने आते हैं।लेकिन छोटे वस्त्र होने के कारण उनके शरीर के अंगो का काफी हिस्सा दिखाई देता है। जिससे अन्य भक्तों की भावनाओं को ठेस पहुंचती है साथ ही उनकी पूजा भी भंग होती है।भक्तों के द्वारा ही जब छोटे वस्त्र पहन कर आने वाले लोगों के बारे में टिप्पणी की गई, तो अब मंदिर समिति ने भी यही निर्णय लिया है। कि मंदिर में आने वाले सभी लोग इस बात का विशेष ध्यान रखें कि छोटे वस्त्र पहनकर मंदिर में ना आएं।
इस मंदिर के मुख्य ट्रस्टी बीके अग्रवाल हैं उनका कहना है। कि छोटे वस्त्र पहनकर मंदिर में आकर पूजा करना भारतीय संस्कृति के लिए उचित नहीं है। इसलिए इसे गंभीरता से लेते हुए मंदिर के गेट पर बोर्ड लगाकर लोगों को इसके प्रति जागरूक किया जा रहा है। इस बात को लेकर ग्राउंड जीरो पर पड़ताल की गई तो मंदिर में आने वाले अन्य भक्तों से जानकारी की गई तो उन्होंने भी मंदिर समिति और मेहनत के इस फैसले को सही ठहराया है। भक्तों ने यहां तक कहा कि केवल इसी मंदिर में नहीं सभी मंदिरों में इस तरह का नियम लागू होना चाहिए।