तेजस न्यूज संवाददाता
आखिर भागवत कथा में इसलिए की जाती है बांस की स्थापना
गाजियाबाद के प्रताप विहार क्षेत्र में भारतीय सनातन सेवा संस्थान के तत्वाधान में चल रही श्रीमद् भागवत कथा गाजियाबाद के दूसरे दिन हरिद्वार से पधारे मोहन गोकुल धाम पीठाधीश्वर कृष्णा संजय जी महाराज के पावन सान्निध्य में आज बड़ा ही आनंद रहा।
आज की कथा में सुनाया गया कि भागवत कथा में बांस की स्थापना क्यों की जाती है ? कथा वाचक ने बताया कि जब महात्मा गोकर्ण जी ने महाप्रेत धुंधुकारी के उद्धार के लिए श्रीमद् भागवत की कथा सुनायी थी।तो धुंधुकारी के बैठने के लिए कोई बांस की अलग से व्यवस्था नहीं की गई थी।
बल्कि उसके बैठने के लिए एक सामान्य आसान ही बिछाया गया था।महात्मा गोकर्ण जी ने धुंधुकारी का आह्वान किया और कहा - "भैया धुंधुकारी ! आप जहाँ कहीं भी हों, आकर इस आसन पर बैठ जाईये। यह भागवत जी की परम् पवित्र कथा विशेषकर तुम्हारे लिए ही हो रही है। इसको सुनकर तुम इस प्रेत योनि से मुक्त हो जाओगे।
अब धुंधुकारी का कोई शरीर तो था नहीं, जो आसन पर स्थिर रहकर भागवत जी की कथा सुन पाते। वह जब जब आसन पर बैठने लगता, हवा का कोई झोंका आता और उसे कहीं दूर उड़ाकर ले जाता। ऐसा उसके साथ बार-बार हुआ।
वह सोचने लगा कि ऐसा क्या किया जाये कि मुझे हवा उड़ा ना पाए और मैं सात दिन तक एक स्थान पर बैठकर भागवत जी की मंगलमयी कथा सुन पाऊँ, जिससे मेरा उद्धार हो जाये और मेरी मुक्ति हो जाये। वह सोचने लगा कि मेरे तो अब माता-पिता भी नहीं हैं, जिनके भीतर प्रवेश करके या उनके माध्यम से मैं कथा सुन पाता। वो भी मेरे ही कारण मृत्यु को प्राप्त हो चुके हैं।
मेरे परिवार का तो कोई सदस्य भी नहीं बचा, जिनके माध्यम से मैं भागवत जी की मोक्षदायिनी कथा सुन पाऊँ। अब तो सिर्फ मेरे सौतेले भाई महात्मा गोकर्ण ही बचे हैं। जिनका जन्म गऊ माता के गर्भ से हुआ है। लेकिन उनके अन्दर मैं कैसे प्रवेश कर सकता हूँ, क्योंकि वो तो पवित्र व्यास पीठ पर बैठकर मुझे परमात्मा की अमृतमयी कथा सुनाने के लिए उपस्थित हैं। आगे गुरुदेव ने बताया कि...वह धुंधुकारी महाप्रेत ऐसा विचार कर ही रहा था कि उसने देखा जहाँ व्यास मंच बना हुआ है, वहाँ बांस का एक बगीचा भी है और उसकी नजर एक सात पोरी के बांस पर पड़ी। यह सोचकर कि बांस में हवा का प्रकोप नहीं होगा, सो वह बांस के अन्दर प्रवेश कर गया और बांस की पहली पोरी में जाकर बैठ गया।पहले दिन की कथा के प्रभाव से बांस की पहली पोरी चटक गयी । धुंधुकारी दूसरी पोरी में जाकर बैठ गया। दूसरे दिन की कथा के प्रभाव से दूसरी पोरी चटक गयी। धुंधुकारी तीसरी पोरी में जाकर बैठ गया। ऐसे ही प्रतिदिन की कथा के प्रभाव से क्रमशः बांस की एक-एक पोरी चटकती चली गयी।और जब अन्तिम सातवें दिन की कथा चल रही थी तो धुंधुकारी महाप्रेत भी अन्तिम सातवीं पोरी में ही बैठा हुआ था। अब जैसे ही अन्तिम सातवें दिन भागवत जी की कथा का पूर्ण विश्राम हुआ तो बांस बीच में से दो फाड़ हो गया और धुंधुकारी महाप्रेत देवताओं के समान शरीर धारण करके प्रकट हो गया। गुरुदेव बोल उठे उसने हाथ जोड़कर बड़े ही विनय भाव से महात्मा गोकर्ण जी का धन्यवाद किया और कहा - "भैया जी ! मैं आपका शुक्रिया किन शब्दों में करुँ ? मेरे पास तो शब्द भी नहीं हैं। आपने जो परमात्मा की मंगलमयी पवित्र कथा सुनाई, देखो उस महाभयंकर महाप्रेत योनि से मैं मुक्त हो गया हूँ और मुझे अब देव योनि प्राप्त हो गयी है। आपको मेरा बारम्बार प्रणाम् तभी सबके देखते-देखते धुंधुकारी के लिए भगवान के धाम से सुन्दर विमान आया और धुंधुकारी विमान में बैठकर भगवान के धाम को चले गए। गुरुदेव ने वास्तविक अर्ध बताते हुए कहा कि ..सही मायने में सात पोरी का बांस और कुछ नहीं, हमारा अपना शरीर ही है। हमारे शरीर में मुख्य सात चक्र हैं।
मूलाधार चक्र, स्वाधिष्ठान चक्र, मणिपुर चक्र, अनाहद चक्र,विशुद्ध चक्र, आज्ञा चक्र और सहस्रार चक्र।..यदि किसी योग्य गुरु के सानिध्य में रहकर प्राणायाम का अभ्यास करते हुए मनोयोग से सात दिन की कथा सुनें तो उसको आत्म ज्ञान प्राप्त हो जाता है और उसकी कुण्डलिनी शक्ति पूर्णरुप से जागृत हो जाती है। इसमें कोई शक नहीं है। यह सात पोरी का बांस हमारा ही शरीर है।
भागवत कथा में आज दूसरे दिन बड़ी संख्या में भक्त पहुंचे खासतौर से महिलाओं ने पूरे भक्ति भाव से भागवत कथा का श्रवण किया और सभी ने भजनों का आनंद लिया आज के यजमान सत्यवीर बेसोया परिवार रहा... इस अवसर पर लोकप्रिय पार्षद संतोष राणा,तेजस न्यूज़ के संपादक तेजस चौहान, ठाकुर जगदीश सिंह चौहान, सलेकचंद शर्मा,, अंबुज चौहान, राजीव चौहान, भरत शर्मा दिवाकर शर्मा, करण शर्मा, ललित शर्मा, लोकेश शर्मा,अनिल वर्मा, रवि यादव, भाजपा नेता दीपांशु यादव, ठाकुर गजेंद्र सिंह,जितेंद्र चौहान,राहुल कुमार,हरिओम शर्मा,बबल शर्मा,श्रीकांत शर्मा, स्पर्श अग्रवाल आदि के अलावा सेंकड़ों की संख्या में अन्य क्षेत्रीय लोग मौजूद रहे।